Sunday, February 10, 2008

Irshaad

रहने दे आसमाँ, जमीन की तलाश कर
सब कुछ यही है, ना कही और तलाश कर
हर आरझू पुरी हो, तो जिने का क्या मजा
जिने के लिये बस, एक कमी की तलाश कर

No comments: